Wednesday, July 24, 2024
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दूध-मलाई | हिंदी कहानी | Moral Stories in Hindi | Hindi Kahaniya

दूध-मलाई | हिंदी  कहानी  | Moral Stories in Hindi | Hindi Kahaniya

ओसियां गांव में चोखाराम नामक एक मोची रहता था । उसके बनाए जूते दूर-दूर तक मशहूर थे । सब उसकी कारीगरी की खूब प्रशंसा करते थे । ओसियां छोटा-सा गांव था । नए जूते बनाने का काम कभीकभार ही मिलता था । अधिकतर लोग पुराने जूतों की मरम्मत कराते थे। इस काम से चोखाराम का गुजारा बड़ी मुश्किल से चल पाता ।

चोखाराम की पत्नी सांवली बहुत चतुर थी । घर के पीछे थोड़ी सी जमीन थी । उसी पर साग-सब्जियाँ उगा लिया करती थी । गाँव के जमींदार, सेठ, साहूकारों के घर से छाछ ले आती थी । बाजरे की रोटियाँ छाछ में चूरकर खाने से दाल-सब्जी की बचत हो जाती । एक बार सांवली के मन में भैंस पालने की इच्छा हिलोरें लेने लगी । वह सोचती कि एक भैंस घर में आ जाए, तो सारे दुःख दूर हो जाएँगे।
 
एक दिन उसने चोखाराम से कहा- नैना के पिताजी, मुझे एक भैंस खरीदनी है ।” 
 
उसकी बात सुनकर चोखाराम हंस दिया । बोला-बावली, दो समय की रोटी तो पूरी नहीं होती, यह भैंस खरीदने की बात कहाँ से सूझी ?”
 
रोटी पूरी करने के लिए ही तो भैंस ला रही हूँ । मैंने सारी जुगत बिठा ली है ।“-सांवली विश्वास के साथ बोली ।
 
कैसी जुगत, जरा मैं भी तो सुनूं ।“-चोखाराम ने सांवली का मखौल उड़ाते हुए कहा ।
सांवली बोली – तुम साहूकार के पास जाओ और उससे कुछ उधर ले लो
लेकिन साहूकार का उधार कभी कोई चुका पाया है । मैं इस मुसीबत में नहीं पड़ना चाहता ।“-चोखाराम बोला ।
 
सांवली ने फिर भी हिम्मत नहीं हारी । बोली-पहले पूरी बात सुन लो । नहीं जंचे तो मत करना । देखो जी, भैंस आएगी तो मैं दही बिलोया करूँगी । घी तो बेच दिया करेंगे । छाछ से दोनों समय सुख से रोटी खायेंगे । साग-सब्जी के पैसे बचेंगे।
 
लेकिन अब भी तो छाछ मुफ्त की मिलती है । पैसे तो बच ही रहे हैं ।“-चोखाराम ने कहा ।
 
सांवली तुनककर बोली-मुफ्त में कोई कुछ नहीं देता । सब मुझसे बेगार कराते हैं । फिर मुझे अब घर-घर मांगना अच्छा नहीं लगता ।
 
उसकी नाराजगी देख, चोखाराम ने कहा-अच्छा अगर भैंस खरीद लें, तो दूध बेचने के अलावा तू और क्या करेगी ?”
 
“गोबर से उपले बनेंगे, तो इंधन बचेगा 
 
सांवली ने कहा-जंगल से घास काटकर लाऊंगी । भैंस के लिए दाना
और खाली एक माह उधार खरीदेंगे । महीने के अंत में जो पैसे बचेंगे, उनसे सारा हिसाब बराबर हो जाएगा । फिर भी नहीं जंचे तो भैंस बेच देना ।
 
चोखाराम के मन में भी भैंस खरीदने की बात बैठ गई । बोला –चल ठीक है । एक अच्छी भैंस देखकर खरीद लेते हैं । मैंने सुना है कि कुम्हार के घर भैंस बिकाऊ है । जाकर देख आना ।
 
तुरन्त ही सांवली कुम्हार के घर गई । दुधारू भैंस देखकर, उसका भन खिल गया । लौटकर चोखाराम से बोली-बड़ी बढ़िया भैंस है। सौदा पक्का कर लो ।चोखाराम उसके हाथ में वो कुल्हड़ देखकर बोला-इन्हें क्यों लाई है ?”
 
सांवली इतराती हुई बोली-बड़े कुल्हड़ में छाछ और छोटे कुल्हड़ में मलाई अपने पीहर भेजा करूंगी । मेरी माँ को मलाई बहुत अच्छी लगती है।
तेरे घर मलाई और छाछ जाएगी ।“-चोखाराम ने गुस्से से कहा । 
 
“मैं तो अपने पीहर मलाई और छाछ जरूर भेजूंगी।“-सांवली ने कहा।
 
कैसे भेजेगी ? पहले साहूकार का उधार चुकायेंगे । इसके बाद बच्चे दूध-घी खायेंगे । फिर मैं दालबाटी और चूरमा खाऊँगा । इसके बाद तुम्हारी माँ की मलाई के बारे में सोचेंगे ।” – चोखाराम बोला ।
 
उसकी बात सुनकर सांवली नाराज हो उठी । हाथ नचाते हुए बोली-अपनी माँ को मलाई तो मैं रोज देकर आऊँगी । देखती हूँ, कौन माई का लाल मुझे रोकता है।
 
मैं माई का लाल तुझे रोकूँगा ।“-कहकर चोखाराम ने दोनों कुल्हड़ फोड़ दिए और सांवली को मारने दौड़ा।
 
संयोग से गाँव का साहूकार वहाँ से गुजर रहा था । इन दोनों को लड़ते देखा तो रुक गया । उसने चोखाराम से सारी बात पूछी ।
 
इसके बाद आँखें तरेरते हुए चोखाराम बोला-तुम लोग भैंस काखूब घी-दूध खा रहे हो । और मेरा अभी तक एक पैसा वापस नहीं किया । जल्दी पैसे देते हो या ले जाऊँ भैंस खोलकर ।
 
उसकी बात सुनकर चोखाराम घबराकर बोला-मालिक, कौनसी भैंस और कौन-से पैसे ? मैंने आपसे पैसे कब लिए ? और भैंस तो अभी घर में आई ही नहीं है ।
 
यह सुनकर साहूकार मुसकराने लगा । बोला-यही तो मैं कह रहा था । पहले भैंस तो घर में आने दो । फिर मलाई का बंटवारा कर, लेना ! उससे पहले लड़ने से क्या लाभ

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